सुना रहा मैं आपको हर काव्य की दास्तान। सुना रहा मैं आपको हर काव्य की दास्तान।
किचन, हॉल, बेडरूम बाकी सब सामसुम। किचन, हॉल, बेडरूम बाकी सब सामसुम।
मैं वो किताब हूँ... जिसमें लिखा जीवन का सम्पूर्ण आधार हूँ !! मैं वो किताब हूँ... जिसमें लिखा जीवन का सम्पूर्ण आधार हूँ !!
शब्द को नव अर्थ देने की क्रिया में- पस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ। शब्द को नव अर्थ देने की क्रिया में- पस्त हूँ मैं, क्योंकि कविता लिख रहा हूँ।
निर्विरोध गतिशील है यह प्रचलन सब कहते हैं जिसे कवि सम्मेलन। निर्विरोध गतिशील है यह प्रचलन सब कहते हैं जिसे कवि सम्मेलन।
पाषाणों में रहते-रहते, प्रभु ! क्या तुम भी पाषाण हो गए ? पाषाणों में रहते-रहते, प्रभु ! क्या तुम भी पाषाण हो गए ?